नवजात शिशु की मालिश कैसे करें? पूरी गाइड
नवजात शिशु की देखभाल में मालिश एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि नवजात शिशु की मालिश कैसे करें, तो यह लेख आपके सभी सवालों के जवाब देगा।
1. शिशु की मालिश कब शुरू करें?
- सामान्यतः जन्म के 7 से 10 दिन बाद, जब नाभि की जगह पूरी तरह से ठीक हो जाए, तब मालिश शुरू की जा सकती है।
- अगर बच्चा समय से पहले जन्मा है, तो पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
2. मालिश के लिए सही तेल कौन सा है?
तेल का चयन मौसम और शिशु की त्वचा को देखकर करें।
🌞 गर्मियों में उपयुक्त तेल:
- नारियल तेल: त्वचा को ठंडक और नमी देता है।
- एलोवेरा युक्त तेल: जलन व घमौरियों में राहत।
❄️ सर्दियों में उपयुक्त तेल:
- सरसों का तेल: शरीर को गर्म रखता है।
- तिल का तेल: त्वचा व हड्डियों के लिए अच्छा।
🌼 सभी मौसम में उपयुक्त तेल:
- बादाम का तेल: विटामिन E युक्त, त्वचा कोमल बनाता है।
- ऑलिव ऑयल: मुलायम और पोषक।
⚠️ टिप: किसी भी तेल का उपयोग करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें।
3. मालिश का सही समय क्या है?
- मालिश भोजन के 30-45 मिनट बाद करें।
- सुबह या शाम का समय अच्छा रहता है।
- शिशु जब जागा हुआ और शांत हो, तभी मालिश करें।
- स्नान से पहले मालिश करना अधिक लाभदायक होता है।
4. नवजात शिशु की मालिश कैसे करें – स्टेप बाय स्टेप विधि
✅ तैयारी:
- हाथ साफ करें और नाखून काटें।
- तेल को हल्का गुनगुना करें।
- शांत वातावरण और नरम कपड़ा बिछाएं।
- बच्चे के साथ आँखों का संपर्क बनाए रखें।
➤ स्टेप 1: पैरों की मालिश
- पंजों से एड़ी की ओर हल्के हाथों से घर्षण करें।
- अंगुलियों को धीरे-धीरे दबाएं और मोड़ें।
➤ स्टेप 2: हाथों की मालिश
- कंधे से हथेली तक ऊपर-नीचे मसाज करें।
- उंगलियों को हल्का मसलें।
➤ स्टेप 3: छाती और पेट
- छाती पर दिल के आकार में गोल-गोल मालिश करें।
- पेट पर गोलाई में (clockwise) हल्का दबाव डालें।
➤ स्टेप 4: पीठ की मालिश
- बच्चे को पेट के बल लिटाएं।
- गर्दन से कमर तक ऊपर-नीचे हाथ चलाएं।
- रीढ़ की हड्डी पर हल्के हाथों से स्पर्श करें।
➤ स्टेप 5: सिर और चेहरा
- बहुत ही हल्के हाथों से सिर की मालिश करें।
- माथा, गाल, ठोड़ी पर हल्के स्पर्श करें।
- कान और आँखों के पास सावधानी रखें।
5. मालिश के दौरान ध्यान रखने वाली बातें
- तेज दबाव या जोर-जबरदस्ती से बचें।
- अगर बच्चा रो रहा हो तो मालिश रोक दें।
- ठंडी जगह या पंखे के नीचे मालिश न करें।
- नाभि या घाव वाली जगह पर तेल न लगाएं।
- तेल को त्वचा में सोखने का समय दें।
6. नवजात शिशु की मालिश के लाभ
- हड्डियों और मांसपेशियों का विकास तेज होता है।
- रक्त संचार सुधरता है।
- गैस, पेट दर्द और कब्ज से राहत मिलती है।
- नींद अच्छी आती है।
- माँ-बच्चे का भावनात्मक संबंध मजबूत होता है।
- त्वचा को नमी व पोषण मिलता है।
- रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
नवजात शिशु की मालिश करना एक पारंपरिक और वैज्ञानिक रूप से लाभकारी अभ्यास है। यह न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए भी जरूरी है। सही तकनीक, सही समय और उपयुक्त तेल से की गई मालिश शिशु को स्वस्थ और प्रसन्न बनाए रखती है।
याद रखें – धीरे, कोमलता से और प्यार के साथ की गई मालिश, बच्चे को दुनिया की सबसे पहली देखभाल और सुरक्षा का अनुभव देती है।
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